चल यार टहल आये तनिक
ये अकेला वाक्य आदमी के भीतर स्फूर्ति और ताजगी ले आता है।लेकिन ये जीवन से दूर हो गया। ये वाक्य बचपन में रोजमर्रा होता था। लेकिन उम्र बढ़ने के साथ ,ये सब तिरोहित होते चले गए। किसी दोस्त के साथ किसी भी उम्र में ये वाक्य एक जैसा अहसास देता है। इसके लिए जीवन की औपचारिकता दूर करनी होती है। नुक्कड़ पर तनिक खड़े होने की आदत को कायम रखना होता है। स्ट्रेस दूर करने के सैंकड़ो नुस्खे मिलते है। लेकिन ये अकेला सदियों पुराना नुस्खा है। करना कुछ नही, बस अपने दोस्त और जो आपके करीब है,उसके साथ ही चलना है। समय भी बहुत नही खर्च होता। कभी बाजार जाना हो तो साथ पैदल ही हो लिए। लेकिन उस वक्त जो आनंद का स्राव होगा ,वो ठीक वैसा ही होता है, जो बचपन में प्राइमरी स्कूल।में होता होगा। 80 साल की उम्र मैं भी अगर दो दोस्त मिलते है ,तो उनका अहसास बचपन वाला ही होता है। कभी सुना होगा दो बुजुर्ग कहते है कि वो लड़का जो साथ पढ़ता था,आजकल कहाँ पर है। बचपन का अहसास मनुष्य के भीतर अगर जीवित रहेगा तो वो जीवन में बोर नही हो सकता। साथ टहल आने का सबसे बड़ा आनंद क्या है, अकेलापन दूर होता है। कुछ टहलने से सेहत भी बनी रहती है। नयापन महसूस होता है। लेकिन आजकल ये सब करीब जीवन से तिरोहित होता गया है। कभी दोस्त एक दूसरे से बिना मिले नही रहते थे। लेकिन उम्र के साथ ये अहसास हम खुद हो खत्म करने लगते है। आपस में रूटीन में गपशप करना भी काफी हद तक आनंद देता है। जीवन में स्ट्रेस लगे तो मित्रों के साथ टहल आये, नुक्कड़ पर चाय गटक ली और गपशप कर ली,फिर देखों स्कूल के समय का आनन्द आएगा। इसके लिए पैदल चलने का सबसे अधिक आनंद होता है।
कुछ कहेंगे का समय कहाँ पर है। लेकिन अगर हम अपने पूरे 24 घंटे के हिसाब को एक बार दुबारा से देंखे तो पाएंगे कि कितना समय जिसको हम व्यस्त कहते है, आराम से निकाल सकते है। कभी कभार कहीं दूर घूमने भी जा सकते है। नैनीताल ,शिमला जैसी जगह दो दिन के लिए चले गए।खुल के गपशाप करली। जितना भी स्ट्रेस पाला हुआ है, छू मंतर हो जाएगा। लेकिन चल यार टहल आये तनिक के लिए आदमी वर्षो तक समय नही निकाल पाता। जिनके पास लक्ष्य है, ये उनके लिए भी जरूरी है। कितने व्यस्त हो जाओ,लेकिन हर व्यक्ति के दिल के किसी कोने में ये अहसास होता ही है, बस जरूरत है, उसको जीने की। वो लोग जो बोर होते है, उनको अकेलापन महसूस होता है। वो इसलिए जीवन में आता है क्योंकि ये अहसास जब जीवन से हम दूर कर देते है।
इसलिए एक बार करके देख लो यारों बचपन का अहसास उभर के लौट आएगा। फिर मन कहेगा " चल यार टहल आये तनिक"
रमेश मुमुक्षु
9810610400
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Friday 20 September 2019
चल यार टहल आये तनिक
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