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Thursday 29 October 2020

बहुत हुआ अब बहुत हुआ

बहुत हुआ अब बहुत हुआ
 
बहुत हुआ अब बहुत हुआ 
डर के रहना बहुत हुआ ।

अब न रुकेंगे अब न डरेंगे
बहुत हुआ अब बहुत हुआ ।।

खुद ही लड़ेंगे आगे बढ़ेंगे 
बहुत हुआ अब बहुत हुआ ।।।

बलात्कारियों रुक जाओ अब 
बहुत हुआ अब बहुत हुआ ।v

दया  नही अब न्याय चाहिए
बहुत हुआ अब बहुत हुआ V

कमजोर नही मजबूर नही हम
बहुत हुआ अब बहुत हुआ VI

अब न हम खामोश रहेंगे 
बहुत हुआ अब बहुत हुआ V।।

घूरती आंखेंअब  न सहेंगे 
बहुत हुआ अब बहुत हुआ V।।।

इज्जत का डर अब न सहेंगे 
बहुत हुआ अब बहुत हुआ ।X

अब एक नही सैलाव चलेगा 
बहुत हुआ अब बहुत हुआ X

रुदन नही हुंकार उठेगा
बहुत हुआ अब बहुत हुआ XI
डर के रहना बहुत हुआ 
रमेश मुमुक्षु 
सोशल एक्टिविस्ट 
9810610400 
29.10.2010

Monday 26 October 2020

शिरीन के वीडियो से सेफ द्वारका तक..

शिरीन  के वीडियो से सेफ द्वारका तक...
(छेड़छाड़ करने वाला पुलिस का सब इंस्पेक्टर निकला)
17 अक्टूबर 2020 की घटना की वीडियो शिरीन ने बनाकर सोशल मीडिया में पोस्ट करने से यकायक इस बात पर सभी लोग सक्रिय हो गए। ऊपर से देखने पर ये एक छेड़छाड़ की घटना थी ,जिस पर हम लोग बहुत ध्यान नही देते। लेकिन ऐसे कोई कैसे किसी भी स्त्री की डिग्निटी को चैलेंज कर सकता है। द्वारका जैसे उपनगर में जहां पर इतनी जागरूक जनता है। लेकिन यहां पर भी सड़क पर बहुत बार  काले शीशे वाले व्हीकल, तेज फर्राटा से चलते बिना हेलमेट के बाइकर्स दिखाई पड़ते है। ये इतनी तेजी से चलते है कि हादसा हो जाये।
वैसे भी बड़ी गाड़ी वालों को पुलिस का डर नही रहता। उनको बहुत बार रोका भी नही जाता। ये सामाजिक दायरे और कानून दोनों को इग्नोर करते है। जब कोई बिना हेलमेट और कानून तोड़ कर आता जाता है। वो कानून सम्मान नही करता और दूसरी ओर समाज का लिहाज नही करता। 
लड़को को भी बचपन से लड़कियों के साथ कैसा व्यवहार करें और क्या न करें सहजता से समझाना जरूरी है। बहुत सी बातें उम्र के साथ जुड़ी होती है। उनको एक चैनेल  प्रदान करना होगा। बच्चों की एनर्जी का सही उपयोग और रूटीन में उनको सही दिशा में लगाना होगा। घर वालों को बच्चों के रूटीन को सहजता से चेक करना ही होगा। सहज व्यवहार और आपराधिक वृति को भी रेखांकित करना होगा। अभी द्वारका समेत बहुत जगहों पर लॉक डाउन के दिनों में साईकल ग्रुप प्रतिदिन साइकिलिंग  करते पाएं गए। प्रतिदिन घंटों उन्होंने साईकल और विभिन्न खेलों के माध्यम से अपनी ऊर्जा उपयोग पॉजिटिव तरीके से लगाया। 
जब तक समाज में देख लेंगे, चलता है, कोई नही ले देकर काम कर लेंगे, क्या हो गया, लड़के तो ऐसा करते ही है, लड़कियों को वहां से नही जाना चाहिए ,जहां पर उनके साथ छेड़छाड़ हो सकती है, इग्नोर कर लिया करो। ये  चलता दृष्टिकोण कानून और सामाजिक फ्रेमवर्क को डिस्टर्ब करता रहता है। 
शिरीन के वीडियो ने इस सबसे इग्नोर मामले को समाज के सामने एक दम ला दिया। जहां पर रेप के जघन्य अपराध भी दरकिनार कर दिए जाते है, लेकिन इस घटना ने एक आम समझने वाली आदत जिसको हम इग्नोर कर देते है, पर सबको सोचने पर सक्रिय कर दिया। 
महिलायों के डेलीगेशन ने डीसीपी और डी एम के सामने इस घटना की शिकायत के साथ विभिन्न मुद्दों पर ध्यान खींचा। डी एम ने बहुत ही विस्तृत लेटर भी लिखा ,जिसनें विभिन्न विभागों को निर्देश दिए। उसके बाद पुलिस ने भी सक्रियता दिखाई और सफलता पाई।  एफ आई आर के बाद केस का अपना एक तौर तरीका होता है, वो आगे चलेगा।
लेकिन द्वारका में महिलाओं ने इस पर तेजी से आगे बढ़कर सक्रियता दिखाई और तुरंत 23 अक्टूबर 2020 को रात 10 बजे ज़ूम मीटिंग के माध्यम से द्वारका का एक ग्रुप भी तैयार कर लिया ,जिसमें 35 महिलाओं ने भाग लिया।ये बड़ा और ठोस कदम है। 
महिलाओं का एक साथ आगे आना ,ये दर्शाता है कि ये सबसे इग्नोर की जाने वाली घटना को अब नियंत्रित करना होगा। इस समस्या का समाधान अब महिलाएं खुद ही खोजेंगी। 
हम सब को इस दिशा में गंभीरता से सोचना ही होगा। 
अब उम्मीद की जा सकती है कि द्वारका में बिना हेलमेट, तीन सवार ,बिना मास्क, काले शीशे वाली गाड़ी  में चलने वाले सावधान हो जाएंगे,गाड़ी में शराब पीने वाले सावधान  हो जाने चाहिए। 
सरकार से आह्वान है, सीसीटीवी का जाल बिछना चाहिए ताकि अपराधी पकड़ा जा सकें।
अगर ऐसी छेड़छाड़ वाली घटनाओं पर शिकंजा कसा जाएगा तो जघन्य अपराधों को भी रोका जा सकता है। महिलाओं की ये पहल परिवर्तन की ओर एक ठोस कदम सिद्ध होगा,ये तय है।
रमेश मुमुक्षु
अध्यक्ष, हिमाल
9810610400
26.10.2020

Saturday 24 October 2020

श्री राजेन्द्र सिंह ,एसीपी को समर्पित कुछ पंक्तियां

श्री राजेन्द्र सिंह ,एसीपी को समर्पित कुछ पंक्तियां 
💐सहज उपलब्ध सरल भावयुक्त 
चेहरे पर भीतर तक देख सकने वाली 
अचूक आंखें 
जो दोस्त को देख मुकरा देती है,
लेकिन अपराधी को अंधरे में खोज लेने वाला पैनापन घेर लेता है 
यकायक पलक झपकतें ही 
इससे पहले कोई पलक झपके
अपने पाश में जकड़ने की ताकत और जोश
 जो हमेशा होशयुक्त ही रहा।
निर्भया को न्याय दिलाने को आतुर 
उसके दर्द को महसूस कर 
दरिंदों को अंजाम तक पहुचाने का जज्बा देखते ही बनता है
जिसकी आंखें किसी को भेदने को हो आतुर 
 फर्ज के लिए तल्लीन व्यक्तित्व हमेशा अपना सा ही लगता है
यूं नही कोई सबका अपना 
बन सकता है
कर्तव्य अधिकार समर्पण ही किसी को अपनेपन तक ले आता है
ताकत का डर
 किसी को भयातुर कर सकता है
लेकिन ताकत का सदुयोग डर को दूर भगाकर भयमुक्त वातावरण बना सकें 
इसको ही  ताकत और अनुसाशन का होना कहा जा सकता है।
ये ही अहसास तुमको दोस्तों का दोस्त और अपराधी का कहर बना देता है
कानून के दायरे में
एक बात कहूँ धीमें से 
मेरा दावा है, तुमको दुश्मन भी भूल नही सकता
क्योंकि वो जानता है उसको ईमानदारी से पकड़ा गया था
ये ही अहसास आदमी को अपना बना देता है ,
वरना पैरों से कुचलने वाले निपट अकेले ही गुम हो गए भवसागर में अनगिनत चेहरे और उनपर टिकी आंखें कहां  रहती है याद 
लेकिन तुम्हारी चौकस आंखों 
को भूल जाना कहा होगा संभव 
ये तय है......💐
रमेश मुमुक्षु 
अध्यक्ष ,हिमाल
9810610400
27.5.2020/24.10.2020