शिरीन के वीडियो से सेफ द्वारका तक...
(छेड़छाड़ करने वाला पुलिस का सब इंस्पेक्टर निकला)
17 अक्टूबर 2020 की घटना की वीडियो शिरीन ने बनाकर सोशल मीडिया में पोस्ट करने से यकायक इस बात पर सभी लोग सक्रिय हो गए। ऊपर से देखने पर ये एक छेड़छाड़ की घटना थी ,जिस पर हम लो
ग बहुत ध्यान नही देते। लेकिन ऐसे कोई कैसे किसी भी स्त्री की डिग्निटी को चैलेंज कर सकता है। द्वारका जैसे उपनगर में जहां पर इतनी जागरूक जनता है। लेकिन यहां पर भी सड़क पर बहुत बार काले शीशे वाले व्हीकल, तेज फर्राटा से चलते बिना हेलमेट के बाइकर्स दिखाई पड़ते है। ये इतनी तेजी से चलते है कि हादसा हो जाये।
वैसे भी बड़ी गाड़ी वालों को पुलिस का डर नही रहता। उनको बहुत बार रोका भी नही जाता। ये सामाजिक दायरे और कानून दोनों को इग्नोर करते है। जब कोई बिना हेलमेट और कानून तोड़ कर आता जाता है। वो कानून सम्मान नही करता और दूसरी ओर समाज का लिहाज नही करता।
लड़को को भी बचपन से लड़कियों के साथ कैसा व्यवहार करें और क्या न करें सहजता से समझाना जरूरी है। बहुत सी बातें उम्र के साथ जुड़ी होती है। उनको एक चैनेल प्रदान करना होगा। बच्चों की एनर्जी का सही उपयोग और रूटीन में उनको सही दिशा में लगाना होगा। घर वालों को बच्चों के रूटीन को सहजता से चेक करना ही होगा। सहज व्यवहार और आपराधिक वृति को भी रेखांकित करना होगा। अभी द्वारका समेत बहुत जगहों पर लॉक डाउन के दिनों में साईकल ग्रुप प्रतिदिन साइकिलिंग करते पाएं गए। प्रतिदिन घंटों उन्होंने साईकल और विभिन्न खेलों के माध्यम से अपनी ऊर्जा उपयोग पॉजिटिव तरीके से लगाया।
जब तक समाज में देख लेंगे, चलता है, कोई नही ले देकर काम कर लेंगे, क्या हो गया, लड़के तो ऐसा करते ही है, लड़कियों को वहां से नही जाना चाहिए ,जहां पर उनके साथ छेड़छाड़ हो सकती है, इग्नोर कर लिया करो। ये चलता दृष्टिकोण कानून और सामाजिक फ्रेमवर्क को डिस्टर्ब करता रहता है।
शिरीन के वीडियो ने इस सबसे इग्नोर मामले को समाज के सामने एक दम ला दिया। जहां पर रेप के जघन्य अपराध भी दरकिनार कर दिए जाते है, लेकिन इस घटना ने एक आम समझने वाली आदत जिसको हम इग्नोर कर देते है, पर सबको सोचने पर सक्रिय कर दिया।
महिलायों के डेलीगेशन ने डीसीपी और डी एम के सामने इस घटना की शिकायत के साथ विभिन्न मुद्दों पर ध्यान खींचा। डी एम ने बहुत ही विस्तृत लेटर भी लिखा ,जिसनें विभिन्न विभागों को निर्देश दिए। उसके बाद पुलिस ने भी सक्रियता दिखाई और सफलता पाई। एफ आई आर के बाद केस का अपना एक तौर तरीका होता है, वो आगे चलेगा।
लेकिन द्वारका में महिलाओं ने इस पर तेजी से आगे बढ़कर सक्रियता दिखाई और तुरंत 23 अक्टूबर 2020 को रात 10 बजे ज़ूम मीटिंग के माध्यम से द्वारका का एक ग्रुप भी तैयार कर लिया ,जिसमें 35 महिलाओं ने भाग लिया।ये बड़ा और ठोस कदम है।
महिलाओं का एक साथ आगे आना ,ये दर्शाता है कि ये सबसे इग्नोर की जाने वाली घटना को अब नियंत्रित करना होगा। इस समस्या का समाधान अब महिलाएं खुद ही खोजेंगी।
हम सब को इस दिशा में गंभीरता से सोचना ही होगा।
अब उम्मीद की जा सकती है कि द्वारका में बिना हेलमेट, तीन सवार ,बिना मास्क, काले शीशे वाली गाड़ी में चलने वाले सावधान हो जाएंगे,गाड़ी में शराब पीने वाले सावधान हो जाने चाहिए।
सरकार से आह्वान है, सीसीटीवी का जाल बिछना चाहिए ताकि अपराधी पकड़ा जा सकें।
अगर ऐसी छेड़छाड़ वाली घटनाओं पर शिकंजा कसा जाएगा तो जघन्य अपराधों को भी रोका जा सकता है। महिलाओं की ये पहल परिवर्तन की ओर एक ठोस कदम सिद्ध होगा,ये तय है।
रमेश मुमुक्षु
अध्यक्ष, हिमाल
9810610400
26.10.2020