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Friday 22 January 2021

दीपक भारद्वाज युवा किसान: कृषि और किसान संरक्षण की ओर एक कदम

दीपक भारद्वाज युवा किसान: कृषि और किसान संरक्षण की ओर एक कदम
 दीपक भारद्वाज जो  दिल्ली के कनागनहेड़ी   गांव , दक्षिण पश्चिम जिला,  में रहने वाला युवा है। अधिकांश युवा की तरह दीपक भी कॉलेज की पढ़ाई के बाद  नौकरी करने की कोशिश करते। परंतु दीपक ने परंपरागत कृषि और पशुपालन को व्यवसाय बनाने की ठान ली।  दीपक का कहना है कि उसकी माँ का देहांत कैंसर से हुआ, ये बात उसके दिल में घर कर गई कि केमिकल रहित कृषि उत्पाद कैंसर को रोक सकने में अहम भूमिका निभा सकते है। उसने इसी दिशा में आगे बढ़ने की यात्रा आरम्भ की  और राइज फाउंडेशन ने भी उसको मार्गदर्शन और द्वारका में बाजार देने का कार्य सम्पन्न किया। जिसके कारण दीपक अपनी जैविक कृषि उत्पाद सेक्टर 7 में स्थित ब्रह्मा अपार्टमेंट में सप्ताह में दो बार सब्जी लेकर आता है। अभी आज 22 जनवरी 2021 से ही इंद्रप्रस्थ एन्क्लेव सेक्टर 17 में भी शुरू करेगा। दीपक में कुछ अपने ही तरीके से करने का जज्बा था। दीपक के पास वो प्रकृति का खजाना है,जो कभी नष्ट नही हो सकता,  वो है , खेती की जमीन । दीपक ने खेती और पशुपालन को अपना  व्यवसाय बनाने का बीड़ा उठाया। द्वारका निवासियों के लिए ये एक बहुत सुनहरा अवसर है कि उनको शतप्रतिशत जैविक सब्जी उपलब्ध हो सकेगी। 
आजकल केमिकल के इस्तेमाल से जमीन की उर्वरा शक्ति क्षीण हो जाती है ,और इसके साथ सब्जी का स्वाद और ताकत भी बनी रहती है। दीपक ने इस तरह युवा पीढ़ी को एक रास्ता भी दिखलाया दिए। युवा किसान बने और मार्किट से जुड़े ,ये ही भविष्य है। मुझे उम्मीद है, द्वारका के लोग दीपक की मेहनत का आनंद लेंगे और दीपक को देख युवा पीढ़ी प्रेणना लेंगी और कृषि से अपने जीवन को एक नया आधार ग्रामीण अंचल में  रहकर खोज सकेगी।  उनकी सफलता की।कामना करता  हूँ।
रमेश मुमुक्षु 
अध्यक्ष हिमाल
9810610400 
9.1.2021
दीपक का नंबर
9650049119
bhardwaj1901@gmail.com
नोट: मैं दीपक की सब्जी का प्रचार नही कर रहा हूँ वो तो खुद ही कर लेगा।  मैं दीपक भारद्वाज के  जज़्बे को जो उसने खेती को रोजगार बनाया को सभी को शेयर कर रहा हूँ। ये ही आगे युवाओं को करना चाहिए, जो गांव में है।

Wednesday 6 January 2021

किसान और हम :आओ चिंतन करें।

किसान और हम :आओ चिंतन करें।
किसान को भले हम न जाने और बहुत से लोगों ने देखा भी न हो लेकिन किसान हमारे साथ हमेशा और 24 घंटे रहता है। बदन पर लिपटे कॉटन के कपड़े, चादर, रजाई, जो भी सूती है, वो सब  किसान द्वारा उत्पादित कपास से ही बनते है। हमारी चाय में चीनी, दूध ,पत्ती भी किसान द्वारा ही आती है। मैगी, पास्ता,पिज़्ज़ा, मैक्रोनी, चाऊमीन, मोमोज़, इडली डोसा अभी किसान द्वारा उत्पादित उपज से ही निर्मित होते है। पतंजलि, हल्दीराम, बिकानो, वालमार्ट , अमेज़न, बिगबास्केट , रिलायंस फ्रेश समेत सभी किसान के उपज को उत्पाद में बदल बेचते है। घी, मक्खन ,पनीर, नमकीन, शहद, चीज़ सभी किसान द्वारा ही निर्मित है। 
एक छोटी सी खोली लेकर दुकान खोल लो ,तो कुछ समय बाद आदमी घर ले लेता है। लेकिन किसान के लिए संभव नही होता। 
अगर किसान को हटा दे,तो सारा बाजार ही धराशाही हो जाए और हमारे भी जान के लाले पड़ जाए। अगर ये सारा बाजार हट जाए और केवल किसान रहे ,तो जीवन चलता रहेगा। लॉक डाउन में केवल अनाज ही था। फिर भी जीवन चलता रहा।
इसलिए किसान को बचाना हम सब का कर्तव्य है। किसान गांव छोड़ेगा तो शहर आएगा, कहीं तो उसको रहना ही होगा। किसान भी खुले वातावरण को छोड़ शहर में भीड़ में रहेगा। भीड़ बढ़ेगी, शहर का विस्तार होगा, खेती की जमीन, जंगल की जमीन ,पानी के स्रोत कमतर होते जाएंगे। कुछ लोग गांव को जाना चाहेंगे। वहां पर पहले ही हम बदहाली करते आये है। 
इन सब एक सीधा सा उपाए है,किसान और किसानी ,कृषि को संरक्षित कर लो। किसान को सम्मान और सुविधा दो। गांव गांव गोदाम, पानी की सिंचाई, स्वास्थ्य, शिक्षा, ग्राम और कृषि आधारित ग्राम उद्योग, एक एक खेत को संरक्षित करने के उपाए। लेकिन किसान वो ही होगा,जो खेती करता है। शहर में जिम करो, जैविक खाद्य खोजो ,लेकिन मिलते नही। इसलिए केवल किसान संरक्षित हो गया, कृषि बच गई,तो पूरा सिस्टम ही बच जाएगा और अच्छा वातावरण भी  संरक्षित रहेगा। आज किसान का बच्चा भी किसानी नही करना चाहता क्योंकि किसान केवल कच्चे माल का उत्पादक बन कर रहे गया। उस उत्पाद को उसको बेचना ही होगा। इसलिए इस पर गंभीरता से विचार करना होगा।
मौजूद आंदोलन में एक बात तय है कि सरकार संशोधन करने को राजी है का सीधा अर्थ सरकार ने बहुत कुछ ऐसा प्रावधान डाल दिये, जिनको नही होना था। किसान सरकार की बातचीत जारी है।।लेकिन किसान के प्रति संवेदनशीलता जरूरी है। बहुत आमूलचूल परिवर्तन जिससे किसान और कृषि पर बुरा असर न पड़े ,ये तो करना ही होगा। इस बारें में हम सब को सोचना ही पड़ेगा, इसके अतिरिक्त कोई विकल्प नही। 
किसान को पेस्टिसाइड, सीड्स और फ़र्टिलाइज़र से भी संरक्षित करना है। 1000 ईसवी में लिखी  सुखपाल  जी द्वारा रचित वृक्ष आयुर्वेद में कुंआप जल के निर्माण और उपयोग से खाद और  कीट से आई बीमारियों से निजात मिल सकती है। जड़ी बूटी, फल, फूल, पशुधन केवल ग्रामीण अंचल में ही सम्भव है। अतः जैसे प्रोजेक्ट टाइगर से टाइगर संरक्षित होगा तो सारी फ़ूड चेन संरक्षित होगी, उसी तरह किसान संरक्षित रहे तो सारा मानव समाज और पर्यावरण संरक्षित रहेगा।  ये बात शत प्रतिशत सत्य है। 
इसलिए किसान और कृषि पर चिंतन करें और इनको उसी माहौल में संरक्षित करने के टिकाऊ और प्राकृतिक साधन और स्रोत का उपयोग ही एकमात्र  उपाए है, इस बात से इनकार नही किया जा सकता है, के तय है।
रमेश मुमुक्षु
अध्यक्ष, हिमाल
9810610400
6.1.2021