हम नही सुधरेंगें चाहे कुछ भी हो कोरोना संकट पर एक विचार
# बाइक पर दो से तीन कितनी बार बिना मास्क चलेंगे।
# भीड़ करेंगे ,गप्प करेंगे मास्क के बिना
# हम प्याला होंगे , किसी के घर मास्क को दुर रख ,बच्चों की परवाह किये बिना, मधुशाला गाएंगे।
# दुकान पर डिस्टेंस किसको याद है, अब कोई पुलिस वाला हूटर नही बाजयेगा।
#गली मोहल्ले में मेला लगा है।
# रात के पंछी अभी भी रात को 9 बजे के बाद निकल जाते है,बेरोकटोक।
# कर्फ्यू पास चस्पा करके कितने तो मार्च से ही आंखों में धूल झोंक रहे है।
# इतने ही केस आते जा रहे है,उतना ही लोग फ्री घूम रहे है। पार्क सेहत बनाने के लिए भरे जा रहे है। किसी को फिक्र नही।
# मौत का तांडव होने को है,लेकिन राजनीति अभी भी गर्म है। कोरोना कभी केजरी, कही मोदी कभी योगी, कभी उद्धव , कभी फलाना ढिमकना हो रहा है।
# अफसोस है , देश केअस्पताल में 1लाख पर 58 बेड
बंगला देश 87 बेड
चीन 434
रूस 805
भारत कुल बेड 7 लाख 14000
ICU 35700 कुल सरकारी अस्पताल में।
इसमें किसी पार्टी की सरकार नही ,सभी बराबर के जिम्मेदार है।सभी पार्टी वर्णसंकर है, मतलब *कहीं की ईंट कहीं को रोड़ा भागमती ने कुनबा जोड़ा।* कभी किसी ने पार्टी और संघटन द्वारा स्वास्थ्य पर आंदोलन और चक्का जाम की बात सुनी है। इसमें सभी कसूरवार है। हम सोचते हीनही इस बारे में।
# दुनियां में 10 लाख पर टेस्ट की स्थिति
भारत 3462
USA 64335
स्पेन 95308
रूस 119793
ब्रिटेन 82299
इटली 70063
पेरू 36185
जर्मनी 51916
चीन के यूहान में एक दिन में 14 लाख जांच करवाई थी।
ये देश भारत से 20 गुणा अधिक टेस्ट करवा रहे है। अब खुद ही हिसाब लगा ले कि अगर 20 गुणा टेस्ट हम करते तो आज कितने पॉजिटिव केस हो सकते थे। कितनों की मौत हो सकती थी।
# ये हमारी हकीकत है। ये किसी भी पार्टी की प्राथमिकता नही रही। अगर किसी पार्टी की सरकार ने काम नही किया तो दूसरी पार्टी ने कौन सा झंडा गाड़ दिया। कभी उपरोक्त बातों पर आंदोलन और चक्का जाम नही हुआ।
# देश में मेडिको इन्शुरन्स , सरकारी स्वास्थ्य कार्ड धारक बहुत कम होंगे। करीब 80% लोग भगवान भरोसे है। खुद ही नीम हकीम से इलाज़ करवाते है। सभी किस्म की दवा में मिलावट और स्टेरॉइड मिला कर देने वाले पिचास खूब मिलते है। अभी भी देश में 20 से 50 किलोमीटर से दूर डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल है,जहां पर भी इलाज़ की उम्मीद नही होती।
# अब बताओ कोरोना से कैसे बचें । पहले दूसरे लॉक डाउन में पुलिस का हूटर सुन दौड़ जाते थे। पिछवाड़ा सेक दिया मशहूर हुआ था। अब ऐसे निकलते है, जैसे कोरोना है ही नही।
# बुरा न मानों बहुत से लोग केवल लठ के ही यार है। हम लोग मार्च से ही पॉकेट के गेट पर पहरा देते है। अभी तक लड़ाई का अंदेशा रहता है। हमारे यहां पर गेट पर ड्यूटी देने के लिए दो हमले भी हो गए। लेकिन अभी भी कुछ लोगों पर अंतर नही पड़ा।
# खुद ही हम नही मानते कानून और जो बताया जाता है। आदत ही नही।
# शराब की दुकान में भीड़ ने रिकॉर्ड तोड़ दिया ,ट्रैफिक जाम आम हो गया।
# जब मरीज एक न था
लक्षण रेखा खींची गई
अब मरीज चहुं ओर है
रोक टोक कछु न भई
कैसा गड़बड़ झाला रे
ये कैसा गड़बड़ झाला
कोरोना ने कैसे भैय्या
सबको जाल में डाला
सबको जाल में डाला
किस पर दोष मढ़े
इस हमाम में भैय्या
सभी औंधे पड़े ,औंधे पड़े।
# इसलिए अपनी जान खुद ही बचाएं।
सावधानी हटी दुघर्टना घटी।
#अगर 15 लाख खींसे में है और किसी नेता के करीबी है ,तो भी बच के रहो,ये कोरोना है,जिसने अमेरिका चीन नही बख्शे , परमाणु बम भी इसका बाल बांका भी नही ,तो किसी को नही बख्शेगा।
*ये हेकड़ी मूछों पर मरोड़ , सीना फुला के चलना, ऐंठ के घूरना सब धरा रह जायेगा। इसलिए सभी भेद भाव भूल कर साथ में आकर खुद बचो और औरों को बचाओं। ये ही मूल मंत्र है।जिंदा रहे तो भिड़ते रहेंगे,पूरा जीवन ,यहीं करते आ रहे है, सदियों से ,अब हो सकता है ,कुछ ऐंठन कम हो जाये ,कोरोना के कारण। ये तो देखना ही है।
विनीत
रमेश मुमुक्षु
अध्यक्ष, हिमाल
9810610400
13.6.2020