कोविड की दूसरी लहर के बाद : मंजर ऐसा की कुछ हुआ ही नही
पिछले दिनों किसी जरूरी काम से तिलक नगर जाना हुआ और आज सेक्टर 12 की ओर जाने पर लगा कि जैसे अप्रैल और मई की मेमोरी सभी के दिमाग़ से डिलीट हो गई हो। उसके बाद सेक्टर 14 मेट्रो स्टेशन के पास इरोज़ मॉल में दारू का ठेका । भीड़ ही भीड़ , डर मुक्त और उन्मुक्त लोग इधर उधर बिना किसी डर के दिखाई पड़ रहे है। अप्रैल और मई के महीने में मजाल है, कोई एक मास्क लगाकर बाहर निकल जाए, दो दो मास्क लगाते थे। दिन रात फ़ोन बजते थे, ऑक्सीजन, बेड, दवा, प्लाज़्मा, आई सी यू, वेंटीलेटर और शमशान घाट में लंबी लाइन, किसी परिचित और पहचान वाले की खबर, किसी के अस्पताल में जूझते हुए की चिंता और न जाने कितनी खबर। लॉक डाउन में चारों ओर सन्नाटा।
एक बात से इंकार नही किया जा सकता है कि लोग उकता गए, कहीं दूर जाना चाहते है। लेकिन हम सब सुरक्षित रहे और सबसे पहले कोरोना के लिए नियत व्यवहार को जीवन का अंग बना ले , जब तक हम इस को अपने जीवन से दूर न कर दें। जैसे अभी मास्क पहनने वाले बड़े है।
लेकिन सार्वजनिक स्थानों पर निर्देश का पालन हो। ऐसा लगता है, हम सब थक गए या भविष्य की चिंता छोड़ दी।क्या ये सही है?
इस तरह उन्मुक्त होना उचित है?
कोरोना अनुशासन को जीवन में उतारना ही होगा, क्या ये सच बात है?
पिछले दिनों द्वारका पुलिस के अतिरिक्त डीसीपी 1 श्री शंकर चौधरी ,ने एक आदेश / निर्देश जारी किया । उनका काम करने का तरीका भिन्न है। मुझे लगता नही कि उसपर कुछ बहुत चर्चा भी हो रही है। शुक्रवार 3 बजे तक एस एच ओ को पूरे सप्ताह की रिपोर्ट देनी है। लेकिन हम अलमस्त हो गए लगते है।
आदेश और निर्देश से बेहतर है, हम खुद ही इन बातों का पालन करना सीख लें। कितनी आर डब्ल्यू ए है, जो सर्विस प्रोवाइडर की वैक्सीन की बात कर रहे है। हम लोग कम से कम वैक्सीन के लिए प्रयास तेज कर सकते है। निर्माण से जुड़े लोगों को वैक्सीन के लिए तैयार कर सकते है।।उनके लिए वैक्सीन लगवाने की पुख्ता व्यवस्था कर लें तो कम से कम वैक्सीन से ख़तरा तो कम हो जाएगा। बिना वैक्सीन के पॉकेट और सोसाइटी में न आने देने की बात को लागू करने का प्रयास किया जा सकता है।
असल में निर्देश और आदेश केवल कागज़ और ऑनलाइन तक ही सिमट हो गए है। कहीं भी कोरोना संबंधी निर्देशों का पालन तो दूर पूरी तरह मानये भी नही जा रहे है, ऐसा लगता है।
जब मेट्रो को छोड़ सभी जगह खुली छूट हो गई, नियम पालन नही हो रहे। मेट्रो में कम से कम कुछ तो पालन हो ही रहा है। तीसरी लहर की चर्चा होती रहती है। अगर इस तरह बिना किसी निर्देश के चलता रहा तो अंजाम हम देख ही चुके है। लेकिन इतना जल्दी भूल गए, ये गंभीर सोच का विषय है।
चिंतन तो कर ही सकते है।
रमेश मुमुक्षु
अध्यक्ष हिमाल
9810610400
22.6.2021