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Friday 25 February 2022

विश्व शांति और आणविक हथियार: क्या कुछ बदला है?

विश्व शांति और आणविक हथियार: क्या कुछ बदला है?
रूस : 6225 आणविक हथियार
अमेरिका: 5550
चीन: 350
फ्रांस: 290
यू के : 225
पाकिस्तान: 165
भारत:  160
इजराइल : 90
नार्थ कोरिया : 40
रूस की जनसंख्या करीब 14 करोड़ , देश का क्षेत्रफल 1 करोड़ 71 लाख वर्ग किलोमीटर , 
अमेरिका की जनसंख्या 32 करोड़ देश का क्षेत्रफल 98 लाख वर्ग किलोमीटर , 
चीन की 1 अरब 40 करोड़ , क्षेत्रफल 95 लाख वर्ग किलोमीटर,
भारत जनसंख्या 1 अरब 35 करोड़ ,क्षेत्रफल 32 लाख वर्ग किलोमीटर 
पहले तीन देशों का क्षेत्रफल , जनसंख्या आणविक हथियार बहुत ही अधिक है।
रूस और अमेरिका के पास विश्व के सबसे अधिक आणविक हथियार है।
इनके बाद चीन आता है  , जिसके पास 350 ही है। इतने आणविक हथियार वर्तमान दुनियां के पास है।  जापान में दो बम छोड़े गए, वो थे ,लिटिल बॉय और फेट बॉय ,जिस कारण करीब 2 लाख जनसंख्या मारी गई।
लिटिल बॉय एटम बम 15 किलोटन था। अभी  अमेरिका के ट्राइडेंट 455 kt Submarine Launch Ballistic Missiles 
रूस के पास एस एस , 800 kt Intercontinental Ballistic Missile . सामान्य भाषा में कहें तो विश्व एक बटन दबाने से ही नष्ट हो सकता है । जब 15 और 22 किलोटन बमों ने 2 लाख तक लोगों को मार दिया और अब इनकी मारक क्षमता  की तुलना ही नही की जा सकती है। लेकिन आज भी मनुष्य मनुष्य के विरुद्ध कुछ कुछ करता है।  आदिम प्रवृति अपनी बेसिक स्टिंक्ट आजतक  नही बदल सका है। स्वाभाविक प्रवृति/ प्रकृति में आज भी संघर्ष पाया जाता है। इसी का उद्विकास पत्थर के हथियार से आणविक हथियारों तक पहुँच गया। पत्थर मार कर दुश्मन को भागना या हराना और आणविक हथियार से दुश्मन को परास्त करना मूलतः एक ही है। हम लोग अगर हिसाब लगाएं तो आपस में मनमुटाव, मतभेद , बुराई आदि में लगे रहते है। आजकल चुनाव का सीजन है, हम सब देख सकते है। होड़ लगी रहती है कि किसकी कितनी बुराई करें। ये हम जैसे आम लोगो से लेकर सभी मनुष्यों में पाया जाता है।  कभी जानवरों को लड़ते, घुर्राते हुए देखों और मनुष्यों को लड़ते देखों तो एक जैसा ही लगता है। विश्व की सभी इतिहास, कहानी और सभी मीडिया में हिंसा का अपना अपना पक्ष ही दिखता है। 
लेकिन मानव विकास में इसकी उद्विकास की यात्रा में धर्म, आध्यत्म,  संगीत, कला,
 के समस्त रूप दर्शन और आत्मचिंतन जैसे मार्ग खोजे ताकि मानव के भीतर संघर्ष और दुश्मनी जैसी प्रवृति को कम करके अहिंसा, शान्ति एवं सहअस्तित्व व सतत विकास के मार्ग पर अनंतकाल तक मानव यात्रा करता रहे। लेकिन उसके संघर्ष के बीज अब पेड़ बन चुके है। 
एक बटन पूरी मानव जाति को नष्ट कर सकता है। ये विकास और मानव विकास की  कुल पूंजी है। आश्चर्य की बात है कि मनुष्य हिंसा नही करना चाहता। लेकिन आपसी विश्वास आजतक पूरी तरह नही पनप सका। अचानक डर जाना, अचानक हाथ उठ जाना ,ये आदिम भय और वृति आज भी हमारे भीतर मौजूद है।इसी की पराकाष्ठा आणविक हथियार है। 
एक विचार ऐसा भी है कि आणविक हथियार है,  तो तीसरा विश्व युद्ध नही होगा। इस विचार के कारण आणविक हथियार दुनियां में बढ़ते ही  जा रहे है।  शांति हथियार के बिना संभव नही। ये विचार और अवधारणा विश्व को आणविक खतरे में धकेल रहा है। आजतक हम युद्ध से हुए जान माल का नुकसान लगाते  है, लेकिन  युद्ध से पर्यावरण पर कितना घातक असर होगा, इसका आकलन नही करते। 
आणविक हथियार मानव में मौजूद बुराई या उसकी प्रवृति का का परिणाम है।  अंगुलिमाल ने  बुद्ध को बोला कि ठहर ,बुद्ध ने प्रत्युत्तर में बोला कि मैं तो ठहर गया तो  तू कब ठहरेगा । मानव जाति कब ये स्वयं से कहेगी ? देखना हैं , ये कब होगा।
रमेश मुमुक्षु 
अध्यक्ष, हिमाल
9810610400
25.2.2022