(कूड़ा जलाना पाप है)
शीषर्क में लिखे नारे के साथ करीब 100 के आस पास द्वारका के रेसिडेंट्स सेक्टर 7, ब्रह्मा अपार्टमेंट के बाहर ,जिसमे करीब 15 NGOs भी शामिल थी, हाथों में प्ले कार्ड लिए नारा लगा रहे थे कि कूड़ा न जलाया जाए। कूड़ा जलाना पाप है। (क्षमा करें नाम मैं नही लिख रहा क्योंकि सबके नाम याद नही रहते। ये प्रोटेस्ट जनता का प्रोटेस्ट था । संस्था भी जनता का एक रूप है।)
अचरज का विषय है ,करीब चार वर्षों से स्वच्छ भारत की दिन रात चर्चा है। हर चीज़ में स्वछ भारत लिखा है। द्वारका समेत पूरी दिल्ली में सर्दियों में होने वाले प्रदूषण की चर्चा है। उसके बावजूद भी जलाने वाले बाज नही आ रहे। तू डाल डाल मैं पात पात । कूड़ा है कि बढ़ता जाता है। ज्यों ज्यों आदमी की आय बढ़ती है, कूड़ा भी बढ़ता जाता है।
लेकिन सारा कूड़ा घर से आता।है। घर से सोसाइटी और मोहल्ले में इकट्ठा होता है। उसके बाद किसी भी खाली प्लाट पर डाल दो। घर साफ हो गया और बाहर की चिंता किसे।
कूड़ा उठाने की जगह एक तिल्ली लगाई, सब स्वाहा हो गया। तिल्ली लगाने वाला एक बार भी नही सोचता कि कूड़ा केवल जैविक नही है। कूड़े में प्लास्टिक उत्पाद, सेनेटरी पैड्स समेत न जाने क्या क्या होता है ?तिल्ली लगाने वाला सोचता है कि चलो काम हल्का हो गया। लेकिन उसको ये क्यों नही मालूम कि जलाकर उसने वायु प्रदुषण ही पैदा किया है। कितने लोग सांस की बीमारी से पीड़ित होते है। कितने दम भी तोड़ते होंगे।
प्रशासन कचरा निस्तारण से लेकर ये भी समझाने में पूरी तरह फेल हो गया कि कचरे को जलाने से क्या नुकसान होते है।
कचरे का निस्तारण : घर से ही होना चाहिए। इतनी चेतना अभी नही आई। इसके अतिरिक्त एक व्यवस्था भी पनपती है। अगर सरकारी व्यवस्था चाक चौबंद हो , व्यवस्थित हो तो ही ये सब सुधर जाता है। पूरी दिल्ली कचरे का ढेर बनती जा रही है। लेकिन मेट्रो रेल में सफाई का एक बड़ा कारण है ,पुख्ता सिस्टम। अगर SDMC घर से ही कूड़ा उठाने की व्यवस्था को सुचारू रूप से शुरू कर दे तो एक ओर sdmc की कमाई भी बढे क्योंकि जिसको हम कूड़ा बोल रहे है ,वो एक तरह से खजाना भी है। कल्पना कीजिये कि अगर दिल्ली के प्रत्येक घर से सेग्रेगेटेड होकर कूड़ा अलग अलग हो जाये तो कितनी जैविक खाद का उत्पादन हो जाये और कितना और समान अन्य कामों के लिए इस्तेमाल हो सकता है। इसमे कुछ जानकर लोग आंकड़े दे सकते है।
कचरे में बदबू : कचरा एक साथ होने से ही बदबू शुरू होती है। बदबू के साथ ही विषाणु एवं कीटाणु का विस्तार होने लगता है। ये सभी के किये घातक होता है।
SDMC : अगर sdmc इस काम को अंजाम नही देगी तो कौन देगा। स्टाफ कम है, तो उसको बढ़ाने की ओर कदम बढ़ाओ। इतने बेरोजगार है, उनको रोजगार मिलेगा। कूड़े के एक एक कतरे का सुनियोजित तरीके से उपयोग करें ताकि sdmc की कमाई में वृद्धि हो जाये।
चालान कटे: एक बार व्यवस्था सही होने पर चालान काटने की मुहिम तेज होनी चाहिए। मुझे याद आता है ,मेरे एक अजीज दोस्त ने 90 के दशक के शुरू में चीन की राजधानी बीजिंग स्थित तियानमेन स्क्वायर में सिगरेट का बड फेंक दिया । लेकिन तुरंत पुलिस ने मित्र को पकड़ा और चालान काट दिया। अभी 2018 में ऐसा PMO के आस पास भी एक सपना ही है।
जनता: जनता घर और बाहर सभी अपनी जगह मान कर साफ रखे । ये हमारे लिए कल्पना से परे ही है। इससे हमारा रिपोर्ट कार्ड स्वयं उजागर हो जाता है।
SDMC को भी एक मिशन बना लेना चाहिए कि कचरा जलाने पर 100% रोक लगेगी ताकि हवा का प्रदुषण कम हो सके। द्वारका सबसे अधिक चर्चित महानगर है। यहां रहना एक शान मानी जाती है। लेकिन हवा की गुणवत्ता जब आनंद विहार से नीचे हो तो गंभीर चिंतन तो करना ही हुआ। लगातार प्रोटेस्ट भी संभव नही हो सकता।
आशा है , दक्षिण दिल्ली नगर निगम इस ओर युद्ध स्तर पर पहल करें और कम से कम कूड़ा न जलने दे । इस काम के लिए sdmc को आगे आना ही होगा। इसके अतिरिक्त कोई विकल्प नही।
रमेश मुमुक्षु
अध्यक्ष , हिमाल
9810610400
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Tuesday, 23 October 2018
कूड़ा जलाना पाप हैं।
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