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Wednesday, 4 December 2019

इन विभागों की ड्यूटी क्या है?

इन विभागों की ड्यूटी क्या है?
डी डी ए का मूल काम है, किसानों की जमीन अधिग्रहित करके रेजिडेंशियल  और कमर्शियल यूनिट बनाये। आप सब को आश्चर्य होगा , डी डी ए की करीब 1300 एकड़ भूमि पर करीब 4 वर्ष पूर्व तक कब्जा हो चुका था। कैसे और क्यों कब्जा हुआ? इसका एक मात्र कारण है। जिम्मेदारी का अभाव, विभाग के  भीतर समन्वय की कमी, टेंडर के मकड़ जाल में फंसी व्यवस्था और प्रलोभन को नकारा  नही सकते। आजतक डी डी ए ने जितने इंफोर्समेंट  के नोटिस निकाले होंगे, उनमे से आधे से कम भी किर्यान्वयन की प्रक्रिया में आ जाते तो न तो जमीन पर कब्जा होता ,और न ही बिल्डिंग विरूप होती। 
नियम ताक पर रख कर कोई विभाग काम करेगा ,तो चीज़े बिगड़ ही जाती है। दूसरी ओर दबंग लोग भी विभाग को कमजोर बनाते है। अपनी मर्जी से कुछ   ही कब्जा कर लो और गैरकानूनी निर्माण कर लो। अधिकारी को तिलक लगाने से लेकर धमकी तक चलती है। एक बार नियम टूट जाये तो लोग उसका लाभ उठा लेते है। बहुत से मेहनती और ईमानदार अधिकारी भी होते है। जिनकी बात हम लोग भी कम करते है। 
इसमें मैं सिविल  सोसाइटी की कुछ कुछ जिम्मेदारी की बात करूंगा। बहुत बार बहुत से लोग विभाग को केवल गलत ही कहते है। उससे जो लोग मेहनती और ईमानदारी से काम करते है,उनके नैतिक साहस और सेल्फ रेस्पेक्ट पर कुप्रभाव पड़ता है। काम होते है, बहुत धीमे धीमे ,ये डी ङी ए की कमी है।
इनको स्वयं ही रोजमर्रा देखना चाहिए कि कौन सा रोड टुटा है। कहाँ पर रिपेयर करना है। ये उनकी रोजमर्रा की ड्यूटी है। लेकिन लिखने के बावजूद भी काम लंबित रहता है। इसलिए जनता परेशान होकर इनको बुरा भला कहती है।
इनको एक गैंग टीम बनानी चाहिए। आप बहुत से लोगो को याद होगा, रेलवे और सड़क के लिए भी एक गैंग टीम हुआ करती थी। रेलवे में तो अभी  ही है। ये टीम रोज खुद ही देखती रहे और समय रहते ही ठीक करती रहे ,तो सड़क और कुछ भी खराब ही न हो।
ये इनके ही काम होते है। रेसिडेंट्स को   खाली मेहनत करनी पड़ती है। 
ऐसे ही एम सी डी की कहानी है।।उनको डी डी ए से हैंडओवर हुआ है। वो ही टेंडर और लटकाना। आपस में ब्लेम गेम। काम इतना धीमे होता है की आदमी अधीर हो उठता है।ये भी उनके रोजमर्रा के काम है। एम सी डी में लोग पार्षद को बोलते है। पार्षद उनके काम  को करवाने के लिए विभाग को यहाँ वहां भेजता है। स्टाफ भी इसका आनंद लेते है।" साब ने वहां भेज दिया ,कर तो रहा हूँ।" पुराने घाघ उनके टोटका दे जाते है, वो सिखाते है, " *काम करियो मत फली फोडियो मत* *do nothing look buzy*
कुछ पुराने घाघ सिखाते है, *किसी काम को मना नही करना* हां साब करता हूँ। एक टोटका सरकारी काम में पुरातन समय से चल रहा है। *अफसर के अगाड़ी और घोड़े के पिछाड़ी कभी मत जाओ।*  मजे की नौकरी करें। 
कुछ ईमानदार और कर्मठ लोग विभाग को चलाते है। अब रही टेंडर और उससे जुड़ी कहानी ,ये जग जाहिर है। 
*विभाग को एक रेकी या गैंग टीम बनानी होगी ,जो रोजमर्रा पूरे इलाके की देख रेख करे। ये टीम रिपेयर का सामान लेकर चले। जिसमें सड़क, सिविल,बिजली, हॉर्टिकल्चर सभी शामिल हो ,छोटी छोटी रिपेयर रोजमर्रा होती रहे यो चीज़े खराब ही न हो।*
*एम सी डी को प्रति दिन कूड़ा उठाने ही  ही है। सुविधा और जुर्माना टीम एक साथ रूटीन में चले।*
ये ही एक मात्र तरीका है। कुछ पॉइंट ऐसे है, जो मैं 2007 से देख रहा हूँ। आजतक काम नही हुआ। हो सकता है, डी डी ए उसको भूल ही गया हो,उनको रिकॉर्ड में खोजना होगा।
स्टाफ की कमी  भी आड़े आती है।
बाकी फिर कभी।
रमेश मुमुक्षु
4.11.2019

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